ज़िन्दगी ....

Just another simple poem off the top of my head...
टूटे हुए दिल से ही संगीत निकलता  है. . .





जवाब मांग रही  है मेरी परछाई
ये किस तरह की ज़िन्दगी जी रहा हूँ . . .


आँखें ढूंढ़ रहे हैं  मेरा टिकाना ...
जोकि ये दुनिया मुझसे छुपाती है....


दर्द बन  गयी  मेरी वफादार दोस्त
क्या ये कमबख्त वक़्त ने इसको भी हटाएगा?


मन करता है चिल्लाऊँ (आसमान की ओर)..
और क्या लूटोगे मुझसे ?अब बस में और मेरी  यादें .


शोर कर रहा है ये दिल मेरा ..
उसकी(प्यार) बाहों में जाऊं ...भूल जाऊं ...

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